Friday, November 5, 2010

...ताकि सनद रहें

विज्ञानवादी,बुद्दिवादी और तर्कवादी लोगो के लिए सूक्ष्म रुप मे आत्मा का अस्तित्व बहस का विषय हो सकता है लेकिन परामनोविज्ञान के शोध और अध्ययन यह समझने की कोशिस करते रहें है ऐसा क्या है कि बहुत से लोग अपने साथ ऐसी घटनाएं होने का दावा करते है जोकि अतिन्द्रिय किस्म की है। इसी विषय पर मेरा गैर अकादमिक किस्म का निजी शोध कार्य चल रहा है मै अभी योग वशिष्ट का अध्ययन कर रहा हूं इस विषय से योग वशिष्ट का गहरा ताल्लुक है लेकिन दुर्भाग्य से इस विषय के देश के जाने माने और अधिकृत विद्वान डा.बी.एल.आत्रेय जी हमारे बीच मे नही है। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी मे दर्शन शास्त्र और मनोविज्ञान के प्रोफेसर रहें डा.भीखन लाल आत्रेय जी ने इस विषय पर गहनतम शोध किया था तथा कई बहुमूल्य ग्रंथ भी लिखे थे लेकिन संरक्षण के अभाव मे उनके लिखे ग्रंथ उपलब्ध नही हो पा रहे है मैने अपने एक विद्यार्थी को बी.एच.यू. के पुस्तकालय मे भी भेजा था लेकिन वहाँ से भी कुछ खास हाथ नही लगा है।

डा.आत्रेय जी पौत्र से मेरे सम्पर्क हुआ था वें भी ज्योतिष के बडे ज्ञाता है लेकिन रहते अज्ञातवास मे है मैने कई बार मिलने का प्रयास किया लेकिन सफल नही हुआ हूं देहरादून-मसूरी मार्ग पर वें रहते है।

इस ब्लाग पर नियमित लेखन न होने की एक वजह यह भी रही है कि मै कुछ साक्ष्य सम्मत और अपने अनुभव से अतिन्द्रीय किस्म के अनुभव आपके साथ बांटना चाह रहा था अभी मेरी शोध साधना बहुत ही शैशवकाल मे है सो जैसे ही कुछ अधिकृत ज्ञान मुझे होता है मै आपके साथ सांझा करुंगा ये वादा है मेरा।

जल्दी ही आपसे फिर मुलाकात होगी यदि आपके पास इस विषय से सम्बन्धी किसी भी किस्म की जानकारी है कृपया मेल के माध्यम से सूचित करने का कष्ट करें।

आभार सहित

डा.अजीत