विज्ञानवादी,बुद्दिवादी और तर्कवादी लोगो के लिए सूक्ष्म रुप मे आत्मा का अस्तित्व बहस का विषय हो सकता है लेकिन परामनोविज्ञान के शोध और अध्ययन यह समझने की कोशिस करते रहें है ऐसा क्या है कि बहुत से लोग अपने साथ ऐसी घटनाएं होने का दावा करते है जोकि अतिन्द्रिय किस्म की है। इसी विषय पर मेरा गैर अकादमिक किस्म का निजी शोध कार्य चल रहा है मै अभी योग वशिष्ट का अध्ययन कर रहा हूं इस विषय से योग वशिष्ट का गहरा ताल्लुक है लेकिन दुर्भाग्य से इस विषय के देश के जाने माने और अधिकृत विद्वान डा.बी.एल.आत्रेय जी हमारे बीच मे नही है। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी मे दर्शन शास्त्र और मनोविज्ञान के प्रोफेसर रहें डा.भीखन लाल आत्रेय जी ने इस विषय पर गहनतम शोध किया था तथा कई बहुमूल्य ग्रंथ भी लिखे थे लेकिन संरक्षण के अभाव मे उनके लिखे ग्रंथ उपलब्ध नही हो पा रहे है मैने अपने एक विद्यार्थी को बी.एच.यू. के पुस्तकालय मे भी भेजा था लेकिन वहाँ से भी कुछ खास हाथ नही लगा है।
डा.आत्रेय जी पौत्र से मेरे सम्पर्क हुआ था वें भी ज्योतिष के बडे ज्ञाता है लेकिन रहते अज्ञातवास मे है मैने कई बार मिलने का प्रयास किया लेकिन सफल नही हुआ हूं देहरादून-मसूरी मार्ग पर वें रहते है।
इस ब्लाग पर नियमित लेखन न होने की एक वजह यह भी रही है कि मै कुछ साक्ष्य सम्मत और अपने अनुभव से अतिन्द्रीय किस्म के अनुभव आपके साथ बांटना चाह रहा था अभी मेरी शोध साधना बहुत ही शैशवकाल मे है सो जैसे ही कुछ अधिकृत ज्ञान मुझे होता है मै आपके साथ सांझा करुंगा ये वादा है मेरा।
जल्दी ही आपसे फिर मुलाकात होगी यदि आपके पास इस विषय से सम्बन्धी किसी भी किस्म की जानकारी है कृपया मेल के माध्यम से सूचित करने का कष्ट करें।
मृत्यु एक सच्चाई है और इस सच को जानने के लिए भिन्न-भिन्न धर्म के विद्वानो,दार्शनिको और भाष्यकारों ने अपने अपने मत प्रकट किए हैं। कुछ का मानना है कि मृत्यु के बाद मनुष्य अपने कर्मफल भोगता है,जबकि कुछ एक जीवन की बात करते है। आत्मओं का अपना एक अलग संसार है परलोकवादी इसे समानातंर दूनिया कहते है जो सूक्ष्म रुप मे मौजूद रहता है। ऐसे ढेरो उदाहरण सुनने-पढने मे मिल जाते है कि फलां कि अकाल मृत्यु होने से उसकी आत्मा अभी तक भटकती रहती है। इस्लाम मे जिन्न,हिन्दूओं मे भूत/आत्मा और क्रिश्चिनस मे होली/डेविल स्प्रीट के नाम से परिभाषित आत्माओं का अपना अलग एक संसार है।
मनोवैज्ञानिक होने के नाते मै पहले तो इसमे यकीन नही करता था और ऐसे लोग जो अपने उपर किसी आत्मा का साया होने की बात करते थे उनको मै मनोरोगी की दृष्टि से देखता और मनोविश्लेषण करने लगता था कि इसके व्यक्तित्व मे ऐसा कौन सा विकार पैदा हो गया जो ऐसा व्यवहार कर रहा है,कुछ मामलो मे कारण मनोवैज्ञानिक पाए गयें और मै निष्कर्ष पर भी पहूंचा लेकिन निसंदेह कुछ केस ऐसे भी मेरे संज्ञान मे आयें है जहाँ मेरे मनोविज्ञान के ज्ञान पर भी सवाल खडे हो गये है तब मुझे महसूस हुआ कि सूक्ष्म रुप मे जरुर कुछ ऐसा भी मौजूद है जो विज्ञान से परे है। मेरे गांव की ही एक घटना है एक महिला क्रोधवश अपने सहित अपने पांच बच्चो को जहर दे दिया और सभी एक के बाद एक अकाल मौत के शिकार हो गये,इस लोमहर्षक घटना से सारा गांव स्तब्ध था जिनके घर मे यह घटना घटित हुई वो मेरे घनिष्ट रुप से परिचित है। उसी परिवार के वरिष्ठजन का अनुभव यह कहता है कि आज भी कभी –कभी उन मरने वालो मे से एक लडका आवाज लगाता है ये कोई स्वप्न की बात नही बल्कि जाग्रत अवस्था की बात है अब घर के लोग अपने बच्चे की आवाज तो पहचानते है ही सो जब उन्होने मेरे इसकी चर्चा की तब मुझे लगा कि आत्माओं के अस्तित्व को एक सिरे से खारिज़ नही किया जा सकता है।
परलोकवादी श्री बी.डी.ऋषि ने अपनी पुस्तक ‘परलोकवाद’ मे स्पष्ट लिखा है कि आत्माओं का विचित्र संसार हमारे आस पास हमेशा मौजूद रहता है बस उनकी स्थिति ठीक ऐसी है वो मूक बधिर है और हम अन्धे मतलब वो हमसे बोल नही सकते और हम उन्हे देख नही सकते। इसके लिए वे आत्माओं से संवाद करने मे माध्यम का प्रयोग करते थे। वें लम्बे समय तक आत्माओं से संवाद कराते रहे, परंतु अब वे दिवंगत हो चूके है अभी भी कुछ लोग है जो मृत आत्माओं से संवाद करने और करवाने का दावा करते है।
आत्माओं का अस्तित्व और भूत प्रेत की दूनिया एक बहस का विषय हो सकती है लेकिन अपने आस उनके होने की कल्पना जहाँ एक सिरहन सी पैदा करती हैं वही यह सोचने के लिए मजबूर भी कि क्या कल हम भी उसी आत्मालोक का हिस्सा होंगे। किस्से बहुत से है और अपने अलग-अलग तर्क और व्याख्या भी लेकिन इस समानांतर दूनिया को जानने की मेरी जिज्ञासा और बढती जा रही है और मै एकाध प्रयोग भी करने जा रहा हूं यदि सफल रहा तो आपको जरुर अवगत कराउंगा,आज के लिए इतना ही बस...।
शेष फिर
(यदि आपके पास इस प्रकार को कोई अनुभव हो जो भूत-प्रेत,आत्मा अथवा अतिन्द्रीय किस्म का हो मुझे मेरे ई मेल के माध्यम से अवश्य बताएं उसे यहाँ प्रकाशित भी किया जाएगा।)
जिज्ञासा बहुत दिनो से रही है लेकिन मन की गुह्यता के बीच मै अपने होने की वजह और मेरे चेतन का अस्तित्व से सम्बन्ध पर मानस मंथन करता रहा...यह एक यात्रा है और मुझे लगता है कि यह एक ऐसी यात्रा है जिसकी कोई मंजिल नही है और अगर मंजिल का बोध होता है तो शायद वह मानवीय सीमा है एक जडता का प्रतीक भी।
बचपन मे स्कूल के जादूगर के चमत्कारों से रोमांचित होता मन अब बुद्दि से उस दूनिया का पता लगाना चाहता है जो प्रत्यक्ष नही है,ज्ञान कहता है कोई सीमा नही और विज्ञान के अपने पैमाने है वो तर्क तलाशता है।
मै बीच के मार्ग से गुजरना चाहता हूं जहाँ अन्धविश्वास न हो और न ही कुतर्क। मनोविज्ञान का अकादमिक ज्ञान(पी.एच.डी.) ग्रहण करने के बाद मुझे बोध हुआ कि मनुष्य के मस्तिष्क और उसकी चेतना मे असीम शक्ति है वो कुछ करने मे सक्षम है चाहे वो भौतिक हो अथवा अभौतिक।
परामनोविज्ञान एक प्रयास है एक प्रयोग है दर्शन और मनोविज्ञान के बीच मे सेतु बनाने का साथ ही ऐसे व्यक्तित्व को सामने लाने का जिन्होनें विज्ञान की भाषा मे अभ्यास और आध्यात्म की भाषा मे अपनी साधना से बहुत कुछ ऐसा किया जो न केवल अविश्वसनीय बल्कि हैरतअंगेज भी...।
बिलिव इट ओर नोट,मानो या न मानो और संभव क्या जैसे टी वी सीरियलों मे बहुत से लोगो ने देखा होगा कि ये दूनिया बडी रहस्यमय है और इसी रहस्यवाद की पडताल करने के लिए मै भी निकला जैसे बरसो पहलो ब्रिटिश पत्रकार पाल ब्रंटन निकले थे उन्होने ढेरो ऐसे लोगो से साक्षात्कार किया जो अपने आप मे चमत्कारिक थे शायद आप मे से बहुत से लोगो ने उनकी कृति ‘गुप्त भारत की खोज’ पढी होगी,अंत मे उनको तो अपनी मंजिल रमण महर्षि के आश्रम मे मिल ही गई थी मुझे पता नही मिलेगी या नही।
यह एक शाश्वत भटकन है उस दूनिया को जानने की जहाँ कुछ भी असंभव नही अपनी दूनिया के समानांतर दूसरी दूनिया जिसमे सब कुछ प्रतिभासी है लेकिन है जरुर उसी रहस्य की दूनिया के अनुभवो को आपके साथ सांझा करने के लिए यह ब्लाग शुरु कर रहा हूं, पहले मेरी योजना एक त्रैमासिक पत्रिक निकालने की थी उसका पंजीकरण भी करवा लिया था लेकिन कुछ अपरिहार्य कारणोंवश उसका प्रकाशन नही हो पाया। अब उसके स्थान पर यह ब्लाग शुरु कर रहा हूं देखता हूं कि कब तक आप तक अपने तजरबे पहूंचाता रहूंगा।
इस ब्लाग के माध्यम से मै आप सबको आमंत्रित भी करता हूं कि अगर आपकी नजर मे कुछ भी ऐसा है जो अजीब है रोचक है और अविश्वसनीय भी और आपको लगता है कि दूनिया को इसके बारे मे पता चलना चाहिए तो मुझे ई मेल के माध्यम से जरुर बताएं, हम पडताल करेंगे और अगर ऐसा कुछ पाया गया जो वास्तव मे रहस्यवादी है ढोंग या प्रपंच नही तो निश्चित रुप उसको प्रकाशित किया जाएगा।
योगी,तांत्रिक,साधक परामनोविज्ञानी की तलाश मे मै बहुत भटका हूं हिमालय की कन्द्राओं से लेकर आश्रमों के चक्कर काटे है लेकिन मुझे अभी तक एन्द्रजालिक लोग ही ज्यादा मिले जिनके पास है बहुत कम और बताते बहुत ज्यादा। धीरे-धीरे सबका जिक्र किया जाएगा।
अभी इस ब्लाग के कंटेंट के मामले मे किसी प्रकार का नियोजन नही किया गया है अगर आपका कोई सुझाव है तो आपका स्वागत है हाँ ये तय है कि रहस्यजगत के अंदरुनी हिस्सो की पडताल और अनसुलझे रहस्यों को प्रकाशित करना हमारी प्राथमिकता रहेगी।
शेष मेरी यात्राओं और व्यक्तिगत प्रयोगों अनुसंधान से जो भी कुछ निष्कर्ष निकलेगा वो सब आपके साथ सांझा किया जाएगा।
अंत मे एक बात और इस ब्लाग का उद्देश्य किसी भी अन्धविश्वास को बढावा देना नही है बल्कि गुह्य ज्ञान की उस शाखा को प्रकाशित करना है जो अभी तक तांत्रिको,जादूगरो और साधको,योगियों तक ही सीमित है।