Saturday, September 4, 2010

परलोकवाद

मृत्यु एक सच्चाई है और इस सच को जानने के लिए भिन्न-भिन्न धर्म के विद्वानो,दार्शनिको और भाष्यकारों ने अपने अपने मत प्रकट किए हैं। कुछ का मानना है कि मृत्यु के बाद मनुष्य अपने कर्मफल भोगता है,जबकि कुछ एक जीवन की बात करते है। आत्मओं का अपना एक अलग संसार है परलोकवादी इसे समानातंर दूनिया कहते है जो सूक्ष्म रुप मे मौजूद रहता है। ऐसे ढेरो उदाहरण सुनने-पढने मे मिल जाते है कि फलां कि अकाल मृत्यु होने से उसकी आत्मा अभी तक भटकती रहती है। इस्लाम मे जिन्न,हिन्दूओं मे भूत/आत्मा और क्रिश्चिनस मे होली/डेविल स्प्रीट के नाम से परिभाषित आत्माओं का अपना अलग एक संसार है।

मनोवैज्ञानिक होने के नाते मै पहले तो इसमे यकीन नही करता था और ऐसे लोग जो अपने उपर किसी आत्मा का साया होने की बात करते थे उनको मै मनोरोगी की दृष्टि से देखता और मनोविश्लेषण करने लगता था कि इसके व्यक्तित्व मे ऐसा कौन सा विकार पैदा हो गया जो ऐसा व्यवहार कर रहा है,कुछ मामलो मे कारण मनोवैज्ञानिक पाए गयें और मै निष्कर्ष पर भी पहूंचा लेकिन निसंदेह कुछ केस ऐसे भी मेरे संज्ञान मे आयें है जहाँ मेरे मनोविज्ञान के ज्ञान पर भी सवाल खडे हो गये है तब मुझे महसूस हुआ कि सूक्ष्म रुप मे जरुर कुछ ऐसा भी मौजूद है जो विज्ञान से परे है। मेरे गांव की ही एक घटना है एक महिला क्रोधवश अपने सहित अपने पांच बच्चो को जहर दे दिया और सभी एक के बाद एक अकाल मौत के शिकार हो गये,इस लोमहर्षक घटना से सारा गांव स्तब्ध था जिनके घर मे यह घटना घटित हुई वो मेरे घनिष्ट रुप से परिचित है। उसी परिवार के वरिष्ठजन का अनुभव यह कहता है कि आज भी कभी कभी उन मरने वालो मे से एक लडका आवाज लगाता है ये कोई स्वप्न की बात नही बल्कि जाग्रत अवस्था की बात है अब घर के लोग अपने बच्चे की आवाज तो पहचानते है ही सो जब उन्होने मेरे इसकी चर्चा की तब मुझे लगा कि आत्माओं के अस्तित्व को एक सिरे से खारिज़ नही किया जा सकता है।

परलोकवादी श्री बी.डी.ऋषि ने अपनी पुस्तक परलोकवाद मे स्पष्ट लिखा है कि आत्माओं का विचित्र संसार हमारे आस पास हमेशा मौजूद रहता है बस उनकी स्थिति ठीक ऐसी है वो मूक बधिर है और हम अन्धे मतलब वो हमसे बोल नही सकते और हम उन्हे देख नही सकते। इसके लिए वे आत्माओं से संवाद करने मे माध्यम का प्रयोग करते थे। वें लम्बे समय तक आत्माओं से संवाद कराते रहे, परंतु अब वे दिवंगत हो चूके है अभी भी कुछ लोग है जो मृत आत्माओं से संवाद करने और करवाने का दावा करते है।

आत्माओं का अस्तित्व और भूत प्रेत की दूनिया एक बहस का विषय हो सकती है लेकिन अपने आस उनके होने की कल्पना जहाँ एक सिरहन सी पैदा करती हैं वही यह सोचने के लिए मजबूर भी कि क्या कल हम भी उसी आत्मालोक का हिस्सा होंगे। किस्से बहुत से है और अपने अलग-अलग तर्क और व्याख्या भी लेकिन इस समानांतर दूनिया को जानने की मेरी जिज्ञासा और बढती जा रही है और मै एकाध प्रयोग भी करने जा रहा हूं यदि सफल रहा तो आपको जरुर अवगत कराउंगा,आज के लिए इतना ही बस...।

शेष फिर

(यदि आपके पास इस प्रकार को कोई अनुभव हो जो भूत-प्रेत,आत्मा अथवा अतिन्द्रीय किस्म का हो मुझे मेरे ई मेल के माध्यम से अवश्य बताएं उसे यहाँ प्रकाशित भी किया जाएगा।)

डा.अजीत

dr.ajeet82@gmail.com